Tulsidas Kavitavali Lakshaman Murchha Aur Ram Ka Vilap (8 : तुलसीदास - कवितावली - लक्ष्मन-मूर्छा और राम का विलाप ) CBSE class 12 आरोह भाग 2 Chapter 8 : तुलसीदास - कवितावली - लक्ष्मन-मूर्छा और राम का विलाप summary with detailed explanation of the lesson Tulsidas Kavitavali Lakshaman Murchha Aur Ram Ka Vilap along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary, explanation and questions and answers of each topic of lesson 8 : तुलसीदास - कवितावली - लक्ष्मन-मूर्छा और राम का विलाप .
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Q5. व्याख्या करें –
(क) मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू।।
(ख) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही।।
(ग) माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोऊ।।
(घ) ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।।
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