XtraStudy Header

आरोह भाग 2

Class 12 आरोह भाग 2 Chapter 17 : हज़ारी प्रसाद द्विवेदी - शिरीष के फूल Summary, Explanation, Question Answers (NCERT Solutions)

Hazari Prasad Dwiwedi Shirish Ke Phool (17 : हज़ारी प्रसाद द्विवेदी - शिरीष के फूल) CBSE class 12 आरोह भाग 2 Chapter 17 : हज़ारी प्रसाद द्विवेदी - शिरीष के फूल summary with detailed explanation of the lesson Hazari Prasad Dwiwedi Shirish Ke Phool along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary, explanation and questions and answers of each topic of lesson 17 : हज़ारी प्रसाद द्विवेदी - शिरीष के फूल.

आरोह भाग 2 (Chapter 17 : हज़ारी प्रसाद द्विवेदी - शिरीष के फूल) Solution
 पाठ के साथ

Q1. लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है?

All Questions of आरोह भाग 2 Chapter 17 : हज़ारी प्रसाद द्विवेदी - शिरीष के फूल
पाठ के साथ
Q1. लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है?
Q2. हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी ज़रूरी हो जाती है – प्रस्तुत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
Q3. द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन-स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।
Q4. हाय, वह अवधूत आज कहाँ है! ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह-बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे?
5. कवि (साहित्यकार) के लिए अनासक्त योगी की स्थिर प्रज्ञता और विदग्ध प्रेमी का हृदय – एक साथ आवश्यक है। ऐसा विचार प्रस्तुत कर लेखक न साहित्य-कर्म के लिए बहुत ऊँचा मानदंड निर्धारित किया है। विस्तारपूर्वक समझाएँ।
Q6. सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
Q7. आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो काल देवता की आँख बचा पाएँगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे।

(ख) जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है?…..मैं कहता हूँ कवि बनना है मेरे दोस्तो, तो फक्कड़ बनो।

(ग) फूल हो या पेड़, वह अपने-आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।

पाठ के आसपास
Q1. शिरीष के पुष्प को शीतपुष्प भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की प्रचंड गरमी में फूलने वाले फूल को शीतपुष्प संज्ञा किस आधार पर दी गई होगी?
Q2. कोमल और कठोर दोनों भाव किस प्रकार गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए।

भाषा की बात
* दस दिन फूले और फिर खंखड़-खंखड़ इस लोकोक्ति से मिलते-जुलते कई वाक्यांश पाठ में हैं। उन्हें छाँट कर लिखें।

Comments
Comments (0)


App Link

xtrastudy android app
Others

Earn While You Learn
FAQ

Register Now

© 2022 Company, Inc. All rights reserved.